डा. ममता सक्सेना
भारतीय चित्रकला उसने नि:असीम सागर की भांति है जिसके ओर छोर तथा गहराई का सहज अनुमान नहीं हो पाता है,मानव ने प्रारंभ से ही व्यावहारिक सजगता के साथ चित्रों के उदाहरण छोडे हैं और मध्य प्रदेश की आदिम कंदराओं में हमें उसे बर्बर पर सुसंस्कृत और सुअलंकृत होने की लालसा के अनुगामी मानव के अनेक रेखीय चिन्ह तथा अस्त्र शस्त्रों के सौंदर्य प्रधान रूप में हमें आज आश्चर्यचकित करते हैं, तभी से मानव का कलात्मक विकास एवं संस्कृति अनुराग फीका नहीं पड़ा बल्कि समय व चेतना के साथ वह अनेक महान रूपों का निर्माण कर सका, जिनके दर्शन मात्र से ही आधुनिक मानव संत्रास और भय के वातावरण से मुक्ति प्राप्त करता है।
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