शिखा पाण्डेय और डॉ. शिखा खरे
यह अध्ययन प्रयागराज जिले में दहेज उत्पीड़ित कार्यरत और गैर-कार्यरत महिलाओं की मानसिक स्थिति के बीच रोजगार की स्थिति के प्रभाव का तुलनात्मक विश्लेषण प्रस्तुत करता है। दहेज उत्पीड़न भारतीय समाज में महिलाओं के विरुद्ध हिंसा का एक संरचनात्मक रूप है, जो उनकी मानसिक स्थिरता, आत्म-सम्मान, और सामाजिक संबंधों पर दीर्घकालिक प्रभाव डालता है। शोध से यह स्पष्ट हुआ कि कार्यरत महिलाएं मानसिक संकटों जैसे तनाव, चिंता और अवसाद से अधिक प्रभावी रूप से निपटने में सक्षम होती हैं। उनमें आत्म-सम्मान का स्तर उच्च, और सामाजिक समर्थन का आधार अधिक सुदृढ़ होता है। इसके विपरीत, गैर-कार्यरत महिलाएं अधिकतर भावनात्मक, आत्म-नियंत्रण आधारित या निष्क्रिय रणनीतियाँ अपनाती हैं, जिससे उनके मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव अधिक देखा गया। यह अध्ययन महिला मानसिक स्वास्थ्य और दहेज से संबंधित उत्पीड़न के बीच संबंधों को भी उजागर करता है और नीति-निर्माताओं, सामाजिक संस्थाओं, एवं परामर्शदाताओं के लिए महत्वपूर्ण निष्कर्ष प्रस्तुत करता है। यह निष्कर्ष दर्शाते हैं कि यदि महिलाओं को रोजगार और सामाजिक नेटवर्क से जोड़ा जाए, तो वे उत्पीड़न की परिस्थितियों में अधिक साहसिक और सकारात्मक प्रतिक्रिया देने में सक्षम होती हैं।
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