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International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
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Vol. 7, Issue 2, Part E (2025)

लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के माध्यम से महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण: बिहार में पंचायती राज संस्थाओं का विश्लेषण

Author(s):

महेश कुमार पिन्टू

Abstract:

समाज में महिलाओं की स्थिति, रोज़गार और उनके द्वारा किया गया कार्य किसी राष्ट्र की समग्र प्रगति का सूचक है। राष्ट्रीय गतिविधियों में महिलाओं की भागीदारी के बिना, किसी देश की सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक प्रगति अवरुद्ध हो जाएगी। महिलाओं की अधिकांश घरेलू भूमिका आर्थिक गतिविधियों और परिवार के लिए जुड़ी होती है। अब महिलाओं को राजनीति में सक्रिय भागीदारी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका और अधिक जिम्मेदारी से निभाने की आवश्यकता है। महिलाओं का राजनीतिक सशक्तीकरण उनकी प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक होना चाहिए और सरकारों व समाज को महिलाओं की राजनीतिक क्षेत्र में भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए इस दिशा में कदम उठाने चाहिए। इसके लिए, स्थानीय स्वशासन में भागीदारी एक प्रारंभिक कदम है क्योंकि ये ग्रामीण जनता के अधिक निकट होते हैं। पंचायती राज संस्थाओं को हमेशा से सुशासन का एक साधन माना जाता रहा है। 73वाँ संविधान संशोधन 1992 में इस आशा के साथ किया गया था कि इससे बेहतर शासन व्यवस्था स्थापित होगी और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं जैसे समाज के वंचित वर्ग को राजनीतिक स्थान मिलेगा। विकेंद्रीकृत लोकतांत्रिक स्वशासन की जमीनी इकाइयों के रूप में कार्य करने वाली पंचायती राज संस्थाओं को ग्रामीण भारत में सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन का एक साधन माना गया है। स्थानीय स्तर पर, 1992 के 73वें संविधान संशोधन अधिनियम ने निर्णय लेने और विकास योजना तैयार करने में महिलाओं की भागीदारी के लिए दो महत्वपूर्ण प्रावधान किए हैं। इस संवैधानिक मान्यता ने भारत के विकेंद्रीकरण की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया। पंचायती राज संस्थाएं सरकार और ग्रामीण समुदायों के बीच मध्यस्थ के रूप में कार्य करती हैं, स्थानीय भागीदारी को सुगम बनाती हैं और सतत विकास पहलों को आगे बढ़ाती हैं। भारत की 68.8 प्रतिशत आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, इसलिए पंचायतें विकास नीतियों को लागू करने, आम जनता और उच्च स्तरीय शासन के बीच की खाई को पाटने और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। यह शोध पत्र लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के महत्व का मूल्यांकन करता है। बिहार सरकार वर्ष 2006 से पंचायती राज संस्थाओं में सभी पदों पर महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दे रहा है। पंचायती राज संस्थाओं को भारतीय लोकतंत्र का बुनियाद कहा गया है। इसलिए जब इन संस्थाओं में महिलाओं को आरक्षण दिया जाता है तब महिलाओं का राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक सशक्तिकरण होता है। यह शोध पत्र बिहार में ग्रामीण महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण में पंचायती राज संस्थाओं की भूमिका का विश्लेषण करता है।

Pages: 363-367  |  151 Views  38 Downloads


International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
How to cite this article:
महेश कुमार पिन्टू. लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के माध्यम से महिलाओं का राजनीतिक सशक्तिकरण: बिहार में पंचायती राज संस्थाओं का विश्लेषण. Int. J. Arts Humanit. Social Stud. 2025;7(2):363-367. DOI: 10.33545/26648652.2025.v7.i2e.323
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