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International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
Peer Reviewed Journal

Vol. 7, Issue 1, Part J (2025)

सामाजिक सुधार और हिंदी सिनेमा: हिंदी साहित्य और फिल्म के दृष्टिकोण से अध्ययन

Author(s):

Preeti and Virender Kumar

Abstract:

हिंदी सिनेमा और साहित्य भारतीय समाज की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक संरचना को समझने के लिए महत्वपूर्ण संदर्भ प्रस्तुत करते हैं। इन दोनों ने न केवल मनोरंजन के रूप में, बल्कि समाज की सामाजिक कुरीतियों, असमानताओं और अन्य मुद्दों पर गंभीरता से विचार करने का कार्य किया है। यह शोधपत्र हिंदी साहित्य और सिनेमा के सामाजिक सुधार में योगदान को समझने का प्रयास है। इसमें यह जानने का प्रयास किया गया है कि किस प्रकार इन दोनों माध्यमों ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, जैसे कि जातिवाद, स्त्रीविमर्श, बालश्रम, गरीबी, और अन्य असमानताओं के खिलाफ आवाज उठाई और समाज को जागरूक किया। हिंदी साहित्य में लेखकों जैसे प्रेमचंद, यशपाल, मन्नू भंडारी, और हरिवंश राय बच्चन ने अपने लेखन के माध्यम से सामाजिक असमानताओं, जातिवाद, और महिलाओं की समस्याओं को उजागर किया। प्रेमचंद, विशेष रूप से, समाज के निचले तबकों के जीवन को अपनी कहानियों में बयां करते थे, जिसमें गरीबी, शोषण और शोषित वर्ग की सामाजिक असमानताओं को प्रमुखता से दिखाया गया। इसके साथ ही, उनके उपन्यासों में महिलाओं की भूमिका और उनके अधिकारों को बढ़ावा देने की दिशा में एक मजबूत संदेश था। इसके बाद, हिंदी सिनेमा ने भी समाज के विभिन्न पहलुओं को अपनी फिल्मों के माध्यम से पेश किया। "Mother India," "Sholay," "Do Bigha Zameen," और "Peepli Live" जैसी फिल्मों ने समाज में व्याप्त कुरीतियों, जातिवाद और असमानताओं पर प्रहार किया और इन मुद्दों को फिल्मी पर्दे पर लाकर जनमानस में जागरूकता पैदा की। सिनेमा और साहित्य के आपसी संबंध को समझते हुए यह स्पष्ट होता है कि सिनेमा ने साहित्य से प्रेरणा ली और उसे जनमानस तक पहुंचाया। साहित्यिक कृतियों के फिल्मी रूपांतरण ने इन विचारों को और व्यापक रूप से प्रसारित किया। इस तरह, सिनेमा और साहित्य दोनों ने समाज में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय समाज की संवेदनशीलता और विचारशीलता को न केवल प्रस्तुत किया, बल्कि उसे क्रियात्मक रूप से परिवर्तित भी किया। इस शोधपत्र में हिंदी सिनेमा और साहित्य के योगदान को विस्तार से विश्लेषित किया गया है, जिसमें इनके विभिन्न पहलुओं की चर्चा की गई है। यह शोध इस बात को भी उजागर करता है कि हिंदी सिनेमा और साहित्य ने किस प्रकार सामाजिक सुधार की दिशा में सक्रिय रूप से काम किया और इन दोनों ने मिलकर समाज में बदलाव के लिए कदम उठाए।

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International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
How to cite this article:
Preeti and Virender Kumar. सामाजिक सुधार और हिंदी सिनेमा: हिंदी साहित्य और फिल्म के दृष्टिकोण से अध्ययन. Int. J. Arts Humanit. Social Stud. 2025;7(1):741-747. DOI: 10.33545/26648652.2025.v7.i1j.307
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