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International Journal of Arts, Humanities and Social Studies

Vol. 7, Issue 1, Part B (2025)

हिन्दी बाल पत्रिकाओं में बाल जीवन

Author(s):

कन्हैया साह

Abstract:

हिन्दी बाल पत्रिकाएँ बच्चों के जीवन और विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये पत्रिकाएँ बच्चों की रुचि और मानसिक विकास के अनुसार सामग्री प्रस्तुत करती हैं, जैसे कि कहानियाँ, कविताएँ, चित्रकथाएँ और शैक्षिक लेख। बाल पत्रिकाएँ न केवल मनोरंजन का साधन होती हैं, बल्कि बच्चों में नैतिक मूल्यों, रचनात्मकता और ज्ञानवर्धन का विकास भी करती हैं। बाल जीवन को बेहतर बनाने में ये पत्रिकाएँ बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण का माध्यम बनती हैं। ये पत्रिकाएँ बच्चों को सही और गलत की पहचान कराती हैं, उनकी कल्पनाशक्ति को प्रोत्साहित करती हैं और उन्हें नई चीज़ें सीखने के लिए प्रेरित करती हैं। इनमें विज्ञान, इतिहास, समाज और साहित्य से जुड़ी जानकारी को सरल और रोचक तरीके से प्रस्तुत किया जाता है। कुछ प्रसिद्ध हिन्दी बाल पत्रिकाएँ, जैसे 'नंदन', 'चंपक', 'बाल भारती' और 'पराग', कई दशकों से बच्चों के दिलों में जगह बनाए हुए हैं। इन पत्रिकाओं में चित्रों और कहानियों का उपयोग करके बच्चों को शिक्षाप्रद सामग्री रोचक रूप में दी जाती है। आज के डिजिटल युग में भी बाल पत्रिकाएँ बच्चों को स्क्रीन से हटाकर पढ़ने की आदत डालने में सहायक होती हैं। ये पत्रिकाएँ बच्चों को अपनी मातृभाषा से जोड़ती हैं और उन्हें भाषा का सही ज्ञान देती हैं।

Pages: 81-83  |  46 Views  19 Downloads


International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
How to cite this article:
कन्हैया साह. हिन्दी बाल पत्रिकाओं में बाल जीवन. Int. J. Arts Humanit. Social Stud. 2025;7(1):81-83. DOI: 10.33545/26648652.2025.v7.i1b.161
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