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International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
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Vol. 6, Issue 2, Part C (2024)

रामकुमार वर्मा के काव्य में शिल्प सौंदर्य की संरचनाः भाषिक भंगिमा, अलंकार योजना और काव्यगुणों का समन्वित विश्लेषण

Author(s):

डाॅ. किरण

Abstract:

रामकुमार वर्मा हिंदी काव्यधारा के उन प्रतिभाशाली रचनाकारों में प्रमुख हैं, जिन्होंने छायावादोत्तर काल में काव्य को नई दिशाएँ प्रदान कीं। उन्होंने न केवल भावप्रवणता और गहन अनुभूतियों को स्वर दिया, बल्कि अपनी कविताओं में शिल्प की ऐसी परिपक्वता और कलात्मक संतुलन प्रस्तुत किया, जो उन्हें उनके समकालीनों से अलग स्थापित करता है। उनके काव्य में शब्दों की लय, अलंकारों की सटीक योजना, तथा भावों की गहराई इस प्रकार संवलित होती है कि पाठक भावमग्न हुए बिना नहीं रह सकता। वर्मा जी के काव्य में परंपरा और आधुनिकता का सहज संगम मिलता है। उनकी भाषा संस्कृतिनिष्ठ होते हुए भी स्वाभाविक एवं संप्रेषणीय है, और उनकी शैली में भावनात्मकता के साथ-साथ सौंदर्य की अनुभूति भी होती है। उन्होंने छायावादी प्रवृत्तियों को आत्मसात करते हुए काव्यगुण, अलंकार, प्रतीक एवं बिंब योजना के माध्यम से कवित्व की नवीनता को साकार किया।

Pages: 366-369  |  46 Views  25 Downloads


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How to cite this article:
डाॅ. किरण. रामकुमार वर्मा के काव्य में शिल्प सौंदर्य की संरचनाः भाषिक भंगिमा, अलंकार योजना और काव्यगुणों का समन्वित विश्लेषण. Int. J. Arts Humanit. Social Stud. 2024;6(2):366-369. DOI: 10.33545/26648652.2024.v6.i2c.235
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