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International Journal of Arts, Humanities and Social Studies

Vol. 6, Issue 2, Part C (2024)

नेपाल और भारत सम्बन्ध

Author(s):

विजय कुमार

Abstract:

भारत ने स्वतन्त्रता के पश्चात् नेपाल, भूटान व सिक्किम तीनों देशों से शान्ति व मित्रता की सन्धि की थी। नेपाल की परिस्थितियाँ विशिष्ट प्रकार की थी। राणा शासकों को नेपाल में चल रहे प्रजातान्त्रिक आन्दोलन को दबाने व शासन की बागडोर को अपने हाथ में रखने के लिए भारत का सहयोग आवश्यक प्रतीत हो रहा था। भारत के लिए उत्तर से चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए, नेपाल का सहयोग अपेक्षित था। अतः भारत द्वारा राणाओं पर उदार नीति अपनाने के लिए दबाव न डालने तथा प्रजातान्त्रिक शक्तियों का साथ न देने के लिए सहमति हुई। फलस्वरूप ने मध्यमार्ग का सुझाव नेपाल को दिया और इस प्रकार भारत की सुरक्षा के प्रश्न की रक्षा हेतु नेपाल के प्रजातान्त्रिक आन्दोलन के प्रति भारत द्वारा नेपाली आन्दोलनकारियों को दिये जा रहे सहयोग का त्याग करना पड़ा। सन्धि दोनों देशों को अपनी-अपनी आवश्यकताओं के सन्दर्भ में महत्वपूर्ण थी तथा यह भी स्पष्ट था कि यह दोनों देशों के सम्बन्धों के निर्वाह के लिए उचित दिशा निर्देश थी। दो देशों के बीच की गई सन्धि जब तक कि सैनिक हस्तक्षेप पर आधारित न हो उन दोनों देशों को किसी विषय पर आवश्यकता पूर्ति के लिए की जाती है। इस सिद्धान्त को माना जाय तो कहा जा सकता है कि नेपाल का केवल एक तात्कालिक उद्देश्य था, स्वयं के अस्तित्व की रक्षा। इसके अतिरिक्त नेपाल द्वारा कोई आवश्यकता नहीं दर्शाई गई। निष्पक्ष भाव से आंकलन किया जाय तो यही तथ्य उजागर होता है कि नेपाल में राणाओं की गद्दी ने बहुत से पक्षों को समाहित किया। नागरिकता के विषय में दोनों देशों के नागरिकों को अनेक सुविधाएँ प्रदान की गई ताकि प्राचीन सम्बन्धों की तारतम्यता उसी प्रकार बनी रहे।

Pages: 323-325  |  71 Views  33 Downloads


International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
How to cite this article:
विजय कुमार. नेपाल और भारत सम्बन्ध. Int. J. Arts Humanit. Social Stud. 2024;6(2):323-325. DOI: 10.33545/26648652.2024.v6.i2c.143
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