Abstract:
भारत में वर्ग संघर्ष और सामाजिक आंदोलनों का इतिहास प्राचीन और विविधतापूर्ण है। ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सामाजिक संरचना, आर्थिक स्थितियां, तथा सांस्कृतिक संदर्भ भिन्न होने के कारण इन क्षेत्रों में वर्ग संघर्ष और सामाजिक आंदोलनों के स्वरूप, कारण, रणनीतियां और प्रभाव भी अलग-अलग रहे हैं। इस शोध में मार्क्स के वर्ग संघर्ष सिद्धांत, ग्राम्शी के हेग्मनी सिद्धांत, चार्ल्स टिली के सामाजिक आंदोलन सिद्धांत, तथा राजनीतिक प्रक्रिया दृष्टिकोण के सैद्धांतिक फ्रेमवर्क के आधार पर ग्रामीण एवं शहरी भारत के सामाजिक आंदोलनों की तुलना की गई है। ग्रामीण भारत में भूमि और जातिगत असमानताओं के कारण भूमि सुधार और दलित आंदोलन अधिक प्रभावी रहे हैं, जबकि शहरी भारत में आर्थिक असुरक्षा, रोजगार अस्थिरता, और नागरिक अधिकारों के लिए डिजिटल और नेटवर्क आधारित आंदोलन प्रचलित हैं। इस अध्ययन से यह स्पष्ट हुआ कि दोनों क्षेत्रों में संघर्ष के कारण समान हो सकते हैं, लेकिन उनके संगठनात्मक संसाधन, नेतृत्व, और राजनीतिक अवसर भिन्न होते हैं, जिससे उनके सामाजिक एवं राजनीतिक प्रभाव भी अलग होते हैं। शोध के निष्कर्ष सामाजिक नीति निर्धारण और सामाजिक न्याय के लिए मार्गदर्शक सिद्ध हो सकते हैं।