Contact: +91-9711224068
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
International Journal of Arts, Humanities and Social Studies

Vol. 5, Issue 2, Part A (2023)

हाड़ौती के चित्रों में वसंत

Author(s):

अमित कुमार सोनी, डॉ. सीमा चतुर्वेदी

Abstract:

वसंत उत्तर भारत तथा समीपवर्ती देशों की छह ऋतुओं में से एक ऋतु है। जो फरवरी, मार्च और अप्रैल माह में अपना सोंदर्य बिखेरती है। ऐसा माना गया हे की माध महीने की शुक्ल पंचमी से वसंत ऋतू का आरंभ हो जाता है। इस प्रकार हिन्दू पंचांग के वर्ष का अंत और प्रारंभ वसंत में ही होता है। इस ऋतु के आने पर सर्दी कम हो जाती है। मौसम सुहाना हो जाता है। पेड़ों में नए पत्ते आने लगते है। आम के पेड़ बोर से लद जाते हे और खेत सरसों के फूलों से भरे पीले दिखाई देते है। अतः रागरंग और उत्सव मनाने के लिए यह ऋतू सर्वश्रेष्ट माना गई है। और इसे ऋतुराज कहा गया है। वैसे तो वसंत ऋतु वर्ष की एक ऋतु है जिसमें वातावरण का तापमान प्राय सुखद रहता है। इस ऋतु की विशेषता है मौसम का गरम होना, फूलो का खिलना, पौधो का हरा भरा होना और बर्फ का पिघलाना। भारत के राजस्थान (मेवाड़, मारवाड़, बूंदी, कोटा, किशनगढ़, नाथद्वारा, अलवर, देवगढ़) और पहाड़ी क्षेत्रों (बसोहली, कांगड़ा, गुलेर, चंबा) की चित्रकला में भी वसंत के प्रभाव को वहां के चित्रों में प्राकृतिक दृश्य स्वरूप में देखा जा सकता है। 
राजस्थानी शैली को चार भागो में विभाजित किया गया है। जो मेवाड़, मारवाड़, ढ़ूंढाड और हाड़ौती प्रमुख है। वैसे तो राजस्थान के हर क्षेत्र में वसंत का प्रभाव देखा जा सकता है। परन्तु कलाओं में भी वसंत ऋतु का अत्यधिक चित्रण किया गया है। विषय की दृष्टि के अनुरूप राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र की कलाओं जैसे- चित्रकला, मूर्तिकला, लोककला, पोथी चित्रण कला आदि में वसंत को अंकित किया गया है।
 

Pages: 04-08  |  536 Views  150 Downloads


International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
How to cite this article:
अमित कुमार सोनी, डॉ. सीमा चतुर्वेदी. हाड़ौती के चित्रों में वसंत. Int. J. Arts Humanit. Social Stud. 2023;5(2):04-08. DOI: 10.33545/26648652.2023.v5.i2a.57
Journals List Click Here Other Journals Other Journals