Contact: +91-9711224068
  • Printed Journal
  • Indexed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
Peer Reviewed Journal

Vol. 5, Issue 1, Part B (2023)

भारतीय समाज और स्त्री-अस्मिता

Author(s):

डॉ. अर्चना कुमारी

Abstract:

अस्मिता का तात्पर्य स्वयं की पहचान से है। चाहे वह दलित अस्मिता हो, स्त्री- अस्मिता हो या किसी भी वर्ग, समुदाय और जाति की अस्मिता हो। इन अस्मिताओं की बात यदि चलती है तो इसके पीछे यह छिपा हुआ है कि ये वर्ग कहीं न कहीं हासिए पर है। मानवीय आदर्श, स्वतंत्रता, समानता, बन्धुत्व, प्रेम आदि का संबंध मनुष्य की अस्मिता से जुड़ा हुआ है। ये सारी चीजें जब समाज से नदारत होने लगती है तब मनुष्य अपनी अस्मिता, तलाशने लगता है। वह सोचता है कि आखिर हम हैं क्या? समाज के लिए हम कितने उपयोगी हैं? समाज हमें क्या समझता है? समाज के निर्माण में जो हमारा योगदान है उसके एवज में नितिनियंता या सत्तासीन लोग हमें कौन सा स्थान देते हैं? इन सारे प्रश्नों का सम्बन्ध हासिए पर ढकेल दिए गए मनुष्य की अस्मिता से जुड़ा हुआ है।

Pages: 95-97  |  2665 Views  1881 Downloads


International Journal of Arts, Humanities and Social Studies
How to cite this article:
डॉ. अर्चना कुमारी. भारतीय समाज और स्त्री-अस्मिता. Int. J. Arts Humanit. Social Stud. 2023;5(1):95-97. DOI: 10.33545/26648652.2023.v5.i1b.50
Journals List Click Here Other Journals Other Journals