Abstract:
हिमालय रिसायती प्रजामण्डल में जन क्रांति लाने के लिए धामी प्रेम प्रचारिणी सभा का हिमालय रिसायती प्रजामण्डल में जन जागरण में सहयोग लाने में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। धामी जन क्रांति पहाड़ों में चल रहे जन जागरण आंदोलनों का ही परिणाम था। यह क्रांति धामी रियासत में चल रही दमनकारी नीतियों के विरुद्ध एक जनाक्रोश था। इस क्रांति की शुरूआत करने के लिए पहाड़ों में सर्वप्रथम आम जनता ने भाग लिया। इसका मुख्य प्रयोजन बेगार तथा समाप्ति, भूमि लगान में पच्चास फीसदी कमी, धमी राज्य प्रजामंडल को मान्यता, नागरिक अधिकारों की स्वतंत्रता, राज्य की जनता पर लगाए गये प्रतिबंध और अवरोधों की समाप्ति व प्रेम प्रचारिणी सभा के सदस्यों की जब्त की गई संपति की वापसी इत्यादि। यदि रियासत के राणा द्वारा समय रहते हमारी मागों पर त्वरित और उचित कार्रवाई नहीं की गई तो शीघ्र ही एक शिष्टमण्डल राणा से मिलेगा और उसके बावजूद भी राणा ने कोई कदम नहीं उठाया तो इसके तुरंत पश्चात धामी
प्रजामण्डल राणा के विरुद्ध जनक्रांति करेगा। अतः 16 जुलाई 1939 को धामी के लिए एक जत्था भागमल सौहटा, पंडित सीताराम व भास्करानंद शर्मा की अध्यक्षता में रवाना हुआ। भीड़ को बेकाबू होता देखकर राणा बौखला गया और उनके भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आनन-फानन में फायर करने के आदेश दिये। जिससे वहां खलबली मच गई, बहुत से सत्याग्रही घायल हुए और दो व्यक्तियों की मृत्यु हो गई। पहाड़ पर घटित होने वाली यह प्रथम खूनी घटना थी जिसने महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू जैसे राष्ट्रीय नेताओं का ध्यान आकर्षित किया। बाद में इसकी तुलना जलियांवाला बाग नर संहार से भी की जाती है।